कहा जाता है कि हंसी छूत की बीमारी है। एक को देख दूसरे को आसानी से लग जाती है। यह सच है कि वैसे तो आज की बिल्ली चूहे की रेस में किसी के पास हंसने का न समय है न ही याद आती है कि आखिरी बार दिल खोल कर कब हंसे थे। आजकल के तनाव के इस दौर में हंसी सचमुच दुर्लभहो गई है। सब चीजों के लिए वक्त है पर हंसने हंसाने के लिए नहीं जबकि हंसी हमें क्या क्या देती है, इस बारे में हम जानते नहीं।
जरनल आफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक लाफ्टर थेरेपी लंबी बीमारी के मरीजों को बहुत लाभ पहुंचाती है। इसके अतिरिक्त जोरदार हंसी दूसरे इमोशंस के मुकाबले ज्यादा लाभप्रद शारीरिक व्यायाम साबित होती है। इससे हमारी मांसपेशियां सक्रिय होकर हार्ट बीट बढ़ाती हैं। इससे हमें अधिक ऑक्सीजन मिलती है और श्वास प्रणाली बेहतर होती है।
एक रिसर्च के अनुसार पहले लोग 18 मिनट रोजाना हंसते थे और अब सिर्फ 6 मिनट। खुलकर हंसने वाले बीमारी से दूर रहते हैं। अगर बीमार भी पड़ते हैं तो जल्दी ठीक हो जाते हैं। हंसी केवल हंसने वाले पर ही प्रभाव नहीं डालती बल्कि उसके आसपास के लोगों पर भी सकारात्मक प्रभाव डालती है, इसलिए रोजाना हंसें, दिल खोलकर हंसें, जोरदार हंसें।
अच्छी हंसी वह है जो हम दूसरों के साथ हंसते हैं और खराब हंसी वह है जो हम दूसरों का मजाक उड़ाते हुए हंसते हैं। सबसे असरदार हंसी वह है जो हम
बिंदास होकर हंसते हैं। एक हंसी वह है जो स्वार्थ लिए होती जिसे हम नकली हंसी भी कह सकते हैं। यह अक्सर हम अपने बॉस को खुश करने के लिए हंसते हैं या जब हम पब्लिक में होते हैं तो अन्यों को देखकर हंस पड़ते हैं ताकि हम फूहड़ न कहे जाएं। वैसे इस हंसी का शरीर को कोई लाभनहीं मिलता। प्रारंभ में तो हम बेबाक हंसी नहीं हंस सकते। इसके लिए हमारी सोच का पॉजिटिव होना अवश्य है तथा किसी लाफ्टर क्लब में जाकर या योग संस्थान में जाकर हम निश्छल हंसी सीख सकते हैं।
जानिए हंसने के लाभ :-
हंसी ब्लड सर्कुलेशन को कंट्रोल करती है।
- हंसी प्राकृतिक दर्द नाशक दवा का भी काम करती है। हंसने से शरीर में आक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। हंसने से टेंशन और कई मानसिक दबाव दूर होते हैं।
- खुलकर हंसना अपने आप में एक अच्छा व्यायाम है।
- नियमित हंसी करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। शारीरिक सक्रियता भी बढ़ती है।
- हंसने के नियमित अभ्यास से सोच सकारात्मक बनती है। चेहरा खिलता है, झुर्रियां कम पड़ती हैं। चेहरा खूबसूरत लगता हैं खुश रहने वाले लोगों का सोशल कांटेक्ट भी ज्यादा होता है।
हंसने से शरीर के कार्टिसोल व एड्रेनलिन हारमोन कम होते हैं और एंडार्फिन और फिराटिनिन
अच्छे हार्मोन बढ़ते हैं। इससे मन प्रसन्न रहता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और बुढ़ापे की प्रक्रिया धीमी होती है। इसके विपरीत जो हंसमुख स्वभाव के नहीं होते, उनके स्ट्रेस हार्मोन सक्रिय हो जाते हैं और लेवल बढ़ने पर माइग्रेन, सर्वाइकल, शुगर लेवल का बढ़ना, सिरदर्द, घबराहट, कब्ज जैसी समस्याएं घेर लेती हैं। हमेशा चेहरा थका थका, तनाव भरा और मुरझाया लगता है।
जुकाम, खांसी, नजला, स्किन प्रॉब्लम, एलर्जी जैसी समस्याएं तभी पैदा होती हैं जब शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है। अगर हम प्रातः जोर जोर से हंस लेते हैं तो यह अपने आप में प्राणायाम हो जाता है क्योंकि हंसते हुए हमारा पेट अंदर को चला जाता है जिससे कार्बन डाईआक्साइड बाहर निकल जाती है और ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता 20 प्रतिशत बढ़ जाती है। हंसी से इन बीमारियों को भी नियंत्रित किया जा सकता है।
फेफड़ों के लिए हंसना एक उत्तम व्यायाम है क्योंकि जब हम जोर से हंसते हैं तो झटके से सांस छोड़ते हैं और फेफड़ों में फंसी हवा बाहर निकल जाती है और फेफड़ों की सफाई अच्छी तरह से जाती है।
- हंसने से दिल का भी व्यायाम हो जाता है। चेहरे, हाथ, पैर, पेट, गले की मांसपेशियों की कसरत भी हो जाती है और श्वांस नलिकाओं की हल्की कसरत भी हो जाती हैं।
- हंसने से रक्त संचार, सुचारू रूप से शरीर में होता है और हमारी मांसपेशियां रिलेक्स हो जाती हैं।
जब हम हंसते हैं तो हम अपनी तकलीफ कम महसूस करते हैं या कुछ समय के लिए भूल जाते हैं कि हमें कुछ तकलीफ है क्योंकि उस समय हमारे मन में विचार अच्छे आते हैं। उन्हीं विचारों को हमारा शरीर वैसे ही रिएक्ट करता है।
हंसने से दिमाग सही फैसला लेने की स्थिति में रहता है। सुख दुख रात और दिन की तरह हैं। जैसे सुबह के बाद रात आती है और रात के बाद सुबह, इसी प्रकार सुख और दुःख भी साथ साथ रहते हैं, कभी सुख और कभी दुःख, कुछ भी हमेशा नहीं रहता।
सावधानी बरतें:- गर्भावस्था में हंसें तो सही पर जोर जोर से ठहाके मारकर न हंसें। इसी प्रकार हर्निया रोगी, हाल में हुई सर्जरी वाले, आंखों की बड़ी बीमारी वाले भी जोर लगाकर न हंसें। टी बी रोगियों और खांसी वाले रोगियों को भी आराम से हंसना चाहिए और मुंह पर हाथ या रूमाल रख कर हंसना चाहिए।