दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के बाद राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज
दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार बनने के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया है। सत्ता परिवर्तन के साथ ही भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। एक ओर भाजपा नई सरकार के कामकाज को लेकर सक्रिय नजर आ रही है, वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी सरकार पर सवाल उठाने में पीछे नहीं है।वी.के. अग्रवाल संपादक भाजपा ने सरकार संभालते ही कई अहम फैसले लेने शुरू कर दिए हैं। प्राथमिकता के रूप में दिल्ली की कानून-व्यवस्था, जल आपूर्ति और परिवहन व्यवस्था को सुधारने पर बल दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने विभिन्न विभागों की बैठकें लेकर कार्यों की समीक्षा शुरू कर दी है। भाजपा का कहना है कि पिछली सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के कारण दिल्ली की हालत खराब हो गई थी, जिसे सुधारने में समय लगेगा।वहीं, आम आदमी पार्टी भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगा रही है कि वे पुरानी सरकार के कार्यों को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं। आप का कहना है कि उनकी सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली-पानी के क्षेत्र में जो उपलब्धियां हासिल की थीं, भाजपा उन्हें कमजोर करने की कोशिश कर रही है।दिल्ली की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप कोई नई बात नहीं है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इससे जनता को कोई लाभ होगा? दिल्ली की जनता ने सत्ता परिवर्तन के जरिए एक नई उम्मीद जताई थी। अब यह भाजपा सरकार की जिम्मेदारी है कि वह चुनावी वादों को पूरा करे और राजधानी की जनता को बेहतर प्रशासन दे। राजनीतिक दलों के बीच वाद-विवाद और आरोप-प्रत्यारोप लोकतंत्र का हिस्सा हैं, लेकिन सरकार का असली दायित्व जनता की समस्याओं का समाधान करना है। अब देखना यह होगा कि भाजपा सरकार इन आरोपों से ऊपर उठकर दिल्ली के विकास के लिए क्या ठोस कदम उठाती है। जनता की निगाहें अब सरकार की नीतियों और उनकी प्रभावशीलता पर टिकी हैं।